डॉ. आचंट लक्ष्‍मीपति आयुर्वेदीय अनुसंधान केन्द्र, चैन्‍नई

संस्थान के बारे में

डॉ. आचंट लक्ष्मीपति आयुर्वेद अनुसंधान केंद्र, केन्द्रीय आयुर्वेदीय विज्ञान अनुसंधान परिषद्, स्वास्थ्य मंत्रालय, भारत सरकार के अंतर्गत, 1 फ़रवरी 1965 पर स्थापित किया गया था । 1 अगस्त, 1971 में यह यूनिट को भारतीय चिकित्सा और होम्योपथी अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली, द्वारा लिया गया था। 7 जनवरी, 1979 पर आयुर्वेद और सिद्ध में अनुसंधान परिषद् द्वारा लिया गया था और जून 1985 में एक अनुसंधान केंद्र के रूप में उन्नत प्राप्त किया था। इस अनुसंधान केंद्र वी.एच.एस. की दूसरी मंजिल में स्थित है, डॉ आचंट लक्ष्मीपति एक एलोपैथिक चिकित्सक द्वारा दिए गए उदार अनुदान से लक्ष्मीपति ब्लॉक बनाया गया था और यह उनकी स्मृति में एक स्थायी विरासत के रूप में खड़ा है। बहिरंग रोगि विभाग के लिए अलग से एक कमरे कम सुविधाओं के साथ जमीन मंज़िल में आयुर्वेद विभाग के लिए दिया गया है।

अधिदेश

जीवन शैली से संबंधित और गैर संचारी रोगों पर नैदानिक परीक्षणों।

गतिविधियाँ

इस केंद्र में विभिन्न रोग की स्थिति पर नैदानिक परीक्षण का आयोजन होता है। 9.30 बजे से 1 बजे तक हर दिन जनरल बहिरंग रोगि विभाग के माध्यम से स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं को उपलब्ध होता है, एक विशेष बहिरंग रोगि विभाग वयोवृद्धों के लिए हर मंगलवार एवं फ्लू बीमारी के लिए दैनिक चलाया जा रहा है। इस के अलावा आयुर्वेद मोबाइल स्वास्थ्य देखभाल कार्यक्रमे जैसे आदिवासी स्वास्थ्य रक्षण कार्यक्रम (टी.हेच.सी.आर.पि.), अनुसूचित जाति उपयोजना (एस.सी.एस.पी) एवं स्वास्थ्य रक्षण कार्यक्रम (एस.आर.पी.) भी चल रहा है।

उपलब्धियाँ

यह संस्थान आधारभूत अनुसंधान (Basic Research) के सम्बंधित आयुर्वेद के मौलिक सिद्धांतों के प्रकृति मूल्यांकन, मधुमेह, श्वासरोग आदि जैसी संवैधानिक रोगों के लिए उन्मुखता की भविष्यवाणी संबंधित को उठाया है। स्थौल्य, मानसिक मंदता, ट्रॉपिकल एसिनोफिलिया, श्वित्र, विषमज्वर, एंग्जायटी न्युरोसिस, शिरःशूल, उच्च रक्तचाप आदि जैसी बीमारियों पर नैदानिक ​​परीक्षण पूरा किया गया। साहित्यिक अनुसंधान के तहत भेलसंहिता, भेषजकल्प, नेत्रा प्रकाशिका, धन्वंतरि विलासम, नानाविध वैद्यम, पथ्यापथ्य विनिश्चयम्, कौमारतन्त्रम्, नेत्ररोग निदान, अष्टांग हृदयम् एवं शतश्लोकी आदि प्रकाशित किया गया है।
      वर्तमान नैदानिक ​​अनुसंधान में कष्टार्तव, संधिवात, आमवात, अश्वगंधादि लेह्य के रसायन प्रभाव अध्ययन, साथ में आयुर्वेद और सिद्ध में वेक्टर जनित रोगों की निवारक और उपचार की सूचना प्रकरणों के प्रलेखन, जाहिरा तौर पर स्वस्थ विषयों पर, मधुमेह एवं च्यवनप्राश नैदानिक परीक्षणों किया है।

अनुसंधान प्रकाशन:

अ.ल.आ.अ.कें, अब तक विभिन्न राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में ८२ शोध पत्र प्रकाशित किए है। और राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय सेमिनारों में भागलिया, ८१ वैज्ञानिक शोध पत्र प्रस्तुत किए एवं 4 अनुसंधान मोनोग्राफ बनाने का योगदान दिया।

पुरस्कार:

आयुर्वेद पर अनुसंधान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के सम्मान में, अ.ल.आ.अ.के १३ स्वर्ण पदक एवं२ रजत पदक, विभिन्न अवसरों पर विभिन्न संगठनों से जीते है। वर्ष 2014-15 के दौरान राजभाषा हिंदी के कार्यान्वयन के प्रगामी प्रयोग में छोटे श्रेणी के तहत सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए न.रा.का.स. (TOLIC) चेन्नई से एक सांत्वना शील्ड प्राप्त की गयी।

संपर्क विवरण

डॉ. गोपाल सी. नंदा, सहायक निदेशक (प्र), (S4) आई / सी
डॉ. आचंट लक्ष्मीपति आयुर्वेद अनुसन्धान केंद्र
वी.एच.एस.,चेन्नई ६००११३

कार्यालय का फोन : : ०४४-२२५४१५३६ (044-22541536)
व्यक्तिगत नं.: ०९४१५००१३४५ (09415001345)

ईमेल : alrca-chennai@gov.in