क्षेत्रीय आयुर्वेदीय पोषणजन्‍य विकार अनुसंधान संस्‍थान, मंडी

 

संस्‍थान के बारे में सक्ष्प्ति‍ परिचय

 

आयुर्वेद क्षेत्रीय अनुसंधान संस्‍थान, मण्‍डी सीसीआरएएस की एक सर्वेक्षण इकाई के रूप में जोगिन्‍दरनगर हिमाचल प्रदेश में 1970 में आरम्‍भ किया गया था जिसे 1972 में क्षेत्रीय अनुसंधान केन्द्र (आयु.) के रूप में सम्‍मुन्‍न्‍त किया गया। 1983 में इसे जोगिन्‍दरनगर से मण्‍डी में स्‍थानान्‍तरित किया गया तथा 1999 से इसे क्षेत्रीय अनुसंधान संस्‍थान(आयु.) मण्‍डी के रूप में सम्‍मुनत किया गया। 2009 में इस संस्‍थान का नाम आयुर्वेद क्षेत्रीय अनुसंधान संस्‍थान, मण्‍डी रखा गया। वर्तमान में यह संस्‍थान गांधी भवन मण्‍डी से कार्य कर रहा है। संस्‍थान के नये परिसर का निर्माण पण्‍डोह, जिला मण्‍डी में हिमाचल प्रदेश लोक निर्माण विभाग द्वारा करवाया जा रहा है जहां से बहिरंग रोगी सेवायें वर्ष 2016 में आरम्‍भ करने का प्रयास किया जा रहा है। निर्माण कार्य वर्ष 2017 के अन्‍त तक पूर्व होने की सम्‍भावना है। संस्थान के नये परिसर में बहिरंग रोगी विभाग, उंतरंण रोगी विभाग, फार्माकोगनोसी, माइक्रोलोजी, साइटोकेमीकल, फार्मेस, औषधीय पोधों का सर्वेक्षण एवं प्रलेखन विभाग तथा उच्‍च क्षेत्रीय औषधीय पौधों की पौधशाला तथा पंचकर्म सुविधायें जिसमें दस पंचकर्म कुटीर होंगी जिनसे प्रदेश में स्‍वास्‍थ्‍य पर्यटन का विकास भी होगा।

अधि‍वेश

संस्‍थान का मुख्‍य अधि‍वेश पोषणजन्‍य विकार, श्‍वासजन्‍य विकार, तमक श्‍वास और आमवात केन्द्रित चिकित्‍सीय अनुसंधान है।

अन्य गतिविधियाँ

  • बहिरंग रोगी विभाग द्वारा स्‍वास्थ्‍य देखभाल सेवायें।

  • जराव्‍याधि विशेष स्‍वास्थ्‍य देखभाल चिकित्‍सा।

  • आदिवासी स्‍वास्थ्‍य रक्षण अनुसंधान, स्‍वास्‍थ्‍य रक्षण कार्यक्रम आदि दूरप्रभावी गतिविधियां ।

संस्‍थान सभी कार्य दिवसों पर बहिरंग रोगी विभाग (सामान्‍य एवं वृद्धावस्था) नियमित रूप से चला रहा है और रोगियों को नि:शुल्‍क औषधियां प्रदान की जाती है। संस्‍थान ने अब तक लगभग 5 लाख से अधि‍क लोगों को आयुर्वेदि‍क चिकित्‍सा प्रदान की है। वर्तमान में निम्‍नलिखित चिकित्सीय अनुसंधान एवं अन्‍य परियोजनाएं चलाई जा रही है:

  1. आयुर्वेद, सिद्ध तथा युनानी औषधि‍यों से संबंधित राष्‍ट्रीय फार्माको सतर्कता कार्यक्रम।

  2. हल्‍के तमक श्‍वास के इलाज में आयुर्वेदिक नामित दवाई ‘‘आयुष-ए’’ का बहुकेन्‍द्रीय डब्‍ल ब्‍लाइन्‍ड रैंडमाइज्‍ड प्‍लेसिबो नियंत्रित चिकित्‍सीय अध्‍ययन।

  3. ग्रीवा ग्रह (Cervical Spondylosis) में पंचामृत लौह गुग्‍गुलु व पंचगुणा तेल का चिकित्‍सीय मूल्‍यांकन परियोजना संस्‍थान को आवंटित की गई है।

  4. स्‍वास्थ्‍य रक्षण कार्यक्रम (स्‍वच्‍छ भारत मिशन से संबद्ध)

  5. अनुसूचित जाति उप-योजना (एससीएसपी) के तहत आयुर्वेद मोबाइल स्‍वास्‍थ्‍य रक्षा कार्यक्रम।

 

उपलब्धियाँ:

संस्‍थान ने 2008-09 से 2015-16 तक निम्‍नलिखित महत्‍वपूर्ण चिकितसीय अनुसंधान परियोजनाएं पूर्ण की:

  1. रक्‍ताल्‍पता पर बहुकेन्‍दीय चिकित्‍सीय परीक्षण।

  2. इरिटेबल बाउल सिंड्रोम के प्रबन्‍धन में विल्‍वादि लेह का चिकितसीय मूल्‍यांकन ।

  3. उच्‍च रक्‍त चाप के प्रबंधन में अश्‍वगन्‍धारिष्‍ट, जटामांसी अर्क एवं सर्पगन्‍धा वटी का चिकित्‍सीय मूल्‍यांकन ।

  4. टाईप-।। डायबिटीज मिलाइटिस के प्रबंधन में सप्‍तविंशतिका गुग्‍गुलु एवं हरिद्राचूर्ण का चिकित्‍सीय मूल्‍यांकन

  5. टाईप-।। डायबिटीज मिलाइटिस (मधुमेह) के प्रबंधन में निशाकटकादि कसाय एवं भस्‍म का चिकित्‍सीय मूल्‍यांकन।

  6. इरिटेबल बाउल सिंड्रोम के प्रबंधन में कुटजारिष्ठ का चिकित्‍सीय मूलयांकन।

  7. लौह तत्‍व अभाव जन्‍य रक्‍ताल्‍पता के प्रबंधन में नवायस चूर्ण का चिकित्‍सीय मूल्‍यांकन।

प्रारंभ से अब तक चिकित्‍सीय अनुसंधान के 19 कार्यक्रमों में विभिन्‍न ओषधि‍ योगों पर 4117 रोगियों का चिकित्सीय अध्‍ययन पूर्ण किया गया है। सामान्‍य बहिरंग रोगी विभाग स्‍तर पर कुल 5,09,416 रोगियों को चिकित्‍सा सुविधा प्रदान की जा चुकी है। अनुसंधान उन्‍मुखी बहिरंग रोगी विभाग सेवा के अंतर्गत कुल 7095 रोगियों पर अध्‍ययन किया गया। जराव्‍याधि बहिरंग विभाग में कुल 42865 रोगियों को देखा गया। अंतरंग विभाग में 731 रोगियों को भर्ती किया गया जिसे 2008 में बंद कर दिया गया। प्रयोगशाला के अंतर्गत कुल 2,15,021 परीक्षण किये गये। वर्ष 2004-05 से अब तक कुल रू. 8,31,558/- प्रयोगशाला परीक्षणों से अर्ज‍ित किये गये। महाविद्यालयों से 24 छात्रों को प्रशिक्षण दिया गया। सर्वे और सर्वेलेंस कार्यक्रम के अंतर्गत कुल 9,113 व्‍यक्तियों का निरीक्षण किया गया। सामुदायिक स्‍वास्‍थ्‍य रक्षा कार्यक्रम के अंतर्गत कुल 13,544 रोगियों का परीक्षण एवं चिकित्‍सा की गई जिसका समापन 1999-2000 में हुआ।

औषधीय वनस्‍पतियों के निरीक्षण कार्य में 16 वन क्षेत्रों का निरीक्षण किया गया, लगभग 9000 नमूने एकत्रित किये, 112 वनस्‍पति परिवार एकत्रित किये, 450 वनस्‍पति जैनरा, 1450 वनस्‍पति जातियों तथा वनस्‍पति संग्रह के लिये 900 नमूने एकत्रित किये गये। औषधीय वनस्‍पति निरीक्षण इकाई को 1999 में रानीखेत (ताड़ीखेत) उत्‍तराखण्‍ड स्‍थानान्‍तरित किया गया।

हिमाचल के जिला शिमला, बिलासपुर, धर्मशाला तथा कुल्‍लु के विभि‍न्‍न स्थानों से 645 हस्‍तलिखि‍त पाण्‍डूलिपियों के जानकारी एकत्रित की गई। सहकार्यता अध्‍ययन में भारतीय चिकित्‍सा पद्धतियों के राष्‍ट्रीय प्रजनन एवं बाल स्‍वास्थ्‍य सेवाओं में प्राथमिक स्‍वास्‍थ्‍य केन्‍द्रों के स्‍तर पर समावेश की सम्‍भावना परियोजना का समन्‍वय किया गया। आयुर्वेद पर राष्‍ट्रीय अभियान कार्यक्रम 2010-11 में चलाया गया तथा सतत चिकित्‍सीय शिक्षा(सी.एम..)/सम्‍मेलन कराये गये।

संस्‍थान द्वारा पाण्‍डुरोग नियन्‍त्रण कार्यक्रम भी चलाया गया जिसके अंतर्गत निशुल्‍क आयुर्वेदिक औषधि‍यां बांटी गई। 10 स्‍वास्‍थ्‍य मेलों में 8246 रोगियों की चिकित्‍सा की गई, 38 नि:शुल्‍क चिकित्‍सा शिविरों में 4047 रोगियों की निशुल्‍क चिकित्‍सा की गई, संस्‍थान के विज्ञानिकों ने 66 सी.एम../कार्यशालाओं/राष्‍ट्रीय संगोष्ठियों में भाग लिया।

प्रकाशन

  • संस्‍थान के वैज्ञानिकों डॉ. पी.बी.सिंह द्वारा 1999 में ‘‘इल्‍सट्रेटिड फील्‍ड गाईड टू कोमार्श‍ियली ईम्‍पोरटेंट मैडिसिनल एण्‍ड एरोमेटिक प्‍लांटस ऑफ हिमाचल प्रदेश’’ नामक पुस्‍तक प्रकाशित की गई।

  • परिषद् द्वारा 2008 में प्रकाशित पुस्‍तक ‘‘हीलिंग हर्बज ऑफ हिमालय’’ के प्रकाशन में संस्थान के वैज्ञानिकों ने अपना येागदान दिया।

  • विभिन्‍न राष्‍ट्रीय/अन्‍तर्राष्‍ट्रीय वैज्ञानिक पत्रों में प्रकाशित औषधि ‘‘एन्‍ड्रोग्राफिक्‍स पैनीकुलेटा एण्‍ड कम्‍पाउंड फारमुलेशन’’ के विषाक्‍त प्रभाव/सुरक्षा के बारे मे विस्‍तृत जानकारी का संकलन करके परिषद् को भेजा।

  • संस्‍थान ने ‘‘नैश्‍नल सेमिनार ऑन रोल ऑफ आयुर्वेदा इन दी प्रैजेन्‍ट सेनोरियो विद स्‍पैशल रैफरेन्‍स टू हाई अल्‍टीच्‍युड मैडिसिनल प्‍लान्‍टस एण्‍ड हैल्‍थ टुरिज्‍म’’ नाम स्‍मारिका का प्रकाशन किया।

  • आयुर्वेदिक औषधियों के अन्‍तर्राष्‍ट्रीय वैज्ञानिक पत्रों में दिसम्‍बर, 2010 को ‘‘मैनेजमेंट ऑफ रयुमेटायड अर्थराइटस (आमवात) विद हरबोमिनरल फारमुलेशन-ए क्‍लीनिकल स्‍टडी’’ नामक अनुसंधान पत्र प्रकाशित किया।

  • कुल 16 पत्रों का प्रकाशन किया गया।

संपर्क विवरण

डॉ. एस. के. शर्मा, अनुसंधान अधि‍कारी 

आयुर्वेद क्षेत्रीय अनुसंधान संस्‍थान, गाँधी भवन मण्‍डी-1750001

दूरभाष : 01905-222857,01905-221636,

टैलीफैक्‍स-01905-222857

-मेल: arri-mandi@gov.in, arri.mandi@gmail.com