क्षेत्रीय आयुर्वेदीय अनुसंधान संस्‍थान, गंगटोक

 

क्षेत्रिय आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान, गंगटोक सम्पूर्ण सिक्किम राज्य में एक मात्र आयुर्वेद संस्थान है इसकी स्थापना 09 जून 1979 में हुई थी  

बहिरंग विभाग और औषधीय पादप सर्वेक्षण ईकाई इस संस्थान में प्रारम्भ से ही सक्रिय था स्वाचालित नैदानिक अनुसंधान ईकाई क्रार्यक्रम और सामुदायिक स्वास्थ्य रंक्षण अनुसंधान कार्यक्रम मार्च, 1981 में शुरु किया गया अंतरंग विभाग एंव विकृत-विज्ञान प्रयोगशाला मार्च, 1984 में शुरु किये गये कुछ विपरीत परिस्थितियों के कारण अंतरंग विभाग, चल नैदानिक अनुसंधान ईकाई, सामुदायिक स्वास्थ्य रक्षण कार्यक्रम और औषधीय पादप सर्वेक्षण ईकाई को जारी नही किया जा सका

वर्तमान मे अंतरंग विभाग एंव विकृत-विज्ञान प्रयोगशाला ही प्रकार्य है, पंचकर्म रोगोपचार और क्षारसूत्र रोगोपचार मूल सुविधाओं के साथ 2010 में शुरु हुआ जो अब तक चल रहा है 

सिक्किम हिमालय के भूभाग में स्थित है और एक धनी जैव-विविधता मण्डल है जिसमे विभिन्न प्रकार के औषधीय पौधें अलग-अलग भूगौलिक विविधिकरण मे पाये जाते हैं यहां औषध विकास के लिए औषधीय पौधें खोजने के लिए उत्कृष्ट सम्भावना है

सिक्किम में औषधीय पौंधो के परिरक्षण, संरक्षण और खेती के लिए राजकीय औषधीय पौधा बोर्ड और राजकीय बागवानी बोर्ड को अपनी विशेषज्ञता सांझी की

 

संस्थान के जनादेश

  • आहार-विहार संबंधी और असंक्रामक अव्यवस्था पर नैदानिक अनुसंधान और वातरक्त पर एकाग्रता

संस्थान की गतिविधियाँ

  • प्रतिदिन बहिरंग विभाग में पूर्वाह्न् 9:30 से अपराह्न 4:00 रोगियों का उपचार

  • प्रत्येक मंगलवार बहिरंग विभाग में जराचिकित्सीय रोगीयों का उपचार

  • प्रयोगशाला चिकित्सीय जांच- पैथोलोजी, बायोकेमिस्ट्री एंव ईसीजी

  • पंचकर्म चिकित्सा और क्षारसूत्र चिकित्सा की बुनियादी सुविधा के साथ विशेष

चिकित्साल्य

  • स्वास्थ्य शिविर आयोजित कर सफाई के प्रति जागरुकता पैदा करना और आयुर्वेद के द्वारा उत्कृष्ट जीवन-शैली निर्वाह करने की जानकारी

  • सिक्किम की पारम्परिक स्वास्थ्य व्यवस्था के पुनरुत्थान के लिए लोक औषधी अधिकार एंव पारमपरिक ज्ञान का प्रलेखन करना

 

पुस्तकालय

आयुर्वेदिक पुस्तकों के साथ वनस्पति विज्ञान एंव आधुनिक पाश्चात्या चिकित्सा पद्धति कि पुस्तकों उपलबध है 

चल रहीं परियोजनायें

  • संस्थान में प्रारम्भ से ही विभिन्न नैदानिक परिक्षण हो रहे है

वर्तमान मे चार परियोजनाये चल रही है जो निम्न प्रकार है:

  • क्लिनिकल इव्ल्यूवेशन् आफ पुनर्नवा गुग्गुलु एंड रसना सप्तक कास्या इन मेनेजमेन्ट आफ रियुमाटाय्ड अर्थराईटिस (आमवात) (जनवरी, 2016 में शुरु हुई)

  • जनजातीय स्वास्थ्य रंक्षण अनुसंधान परियोजना (जनजातीय उप-योजना के तहत) (नवम्बर, 2015 में शुरु हुई)

  • स्वास्थय रंक्षण कार्यक्रम (जनवरी, 2016 में शुरु हुआ)

  • अनुसूचित जाति उप योजना के तहत आयुर्वेद चल स्वास्थ्य रंक्षण कार्यक्रम (जनवरी, 2016 में शुरु हुआ)

 

अन्य गतिविधियाँ

  • संस्थान में नियमित रुप से हिन्दी कार्यशाला, हिन्दी पखवाडा, साफ-सफाई कार्यक्रम (स्वच्छ भारत अभियान के तहत) और सतर्कता जागरुकता सप्ताह का पालन आयोजन

  • केन्द्रीय और राज्य सरकार के स्थानीय वॆज्ञानिक संस्थानों द्वारा आयोजित बॆठकें, कार्यशालाएं, सम्मेलनों इत्यादि में संस्थान के अधिकारी नियमित रुप से भाग लेते हैं

  • संस्थान के अधिकारीयों के शोध पत्र राष्ट्रीय एंव अन्तराष्ट्रीय् पत्रिका मे प्रकाशित होते हैं 

उपलब्धियाँ

संस्थान ने विभिन्न नैदानिक परीक्षण प्रारंभ किये, औषधीय पौधों का निरिषण, हार्बेरियम का संकलन और संरक्षण किया इस संस्थान मे सिक्किम हिमालय पौधों का लगभग 4000 हार्बेरियम संरक्षित है जिनमे से केन्द्रीय आयुर्वेदीय विज्ञान अनुसंधान परिषद, मुख्यालय द्वारा बडी मात्रा मे डिजिटलाइज्ड किया गया केन्द्रीय आयुर्वेदीय विज्ञान अनुसंधान परिषद से औषधीय पौधों एक मोनोग्राफ भी प्रकाशित किया 

संस्थान ने सिक्किम में आरोग्य मेला, राष्ट्रीय संगोष्ठी का अयोजन किया

 

संस्थान कई राजकीय समितियों का सदस्य है

 

एक्सपर्ट मेम्बर आफ स्टेट मेडिसनल प्लांट बोर्ड, सिक्किम

टास्क फोर्स मेम्बर ओफ़ नेशनल मिशन आफ मेडिसनल प्लांट बोर्ड, सिक्किम

एक्सपर्ट मेम्बर आफ स्टेट बायोडाइवरसिटी बोर्ड, सिक्किम

मेम्बर आफ स्टेट कमिटि, इम्पलीमेन्टेशन आफ किल्निकल इस्टेबलिश्मेन्ट एक्ट

सम्पर्क

क्षेत्रिय आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान, तदुंग, गंगटोक, सिक्किम-737102

डॉ. ए. एन. मिश्रा प्रभारी अनुसंधान अधिकारी)

दूरभाष न०: 03592231494

फेक्स: 03592231213

इमेल: arri-gangtok@gov.in