संस्थान के बारे में :
क्षेत्रीय आयुर्वेदीय त्वकरोग अनुसंधान संस्थान, विजयवाड़ा भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के अंतर्गत केंद्रीय आयुर्वेदीय विज्ञान अनुसंधा परिषद के एक यूनिट है । इस संस्थान दिनांक 01-05-1972 में स्थापित किया गया | वर्ष 1980 में बहिरंग रोगी विभाग एवं 1981 में दस बिस्तर के अन्तरंग रोगी विभाग शुरू किया गया | फिलहाल यह संस्थान ने विविध व्याधियों के नैदानिक अनुसंधान में और सामान्य जनता को आयुर्वेदिक चिकित्सा देने में लगी हुई है| संस्थान में 10 बिस्तर का अन्तरंग रोगी विभाग स्त्री और पुरुषों के लिए अलग अलग पंचकर्म विभाग, जीव रसायन प्रयोगशाला, एक्सरे विभाग संस्थान की जरुरतम के अनुसार तैल, मरहम और कषाय बनाने के लिए मिनी फार्मसी उपलब्ध है |
अधिदेश :
Ø आतुरीय अनुसंधान - त्वकरोग एवं वेक्टर जनित रोग
गतिविधियाँ :
Ø बहिरंग एवं अंतरंग रोगी विभाग के माध्यम से स्वास्थ्य सेवाएं
Ø वृद्धावस्था स्वास्थ्य हेतु विशेष क्लिनिक
Ø बाह्य गतिविधियाँ जैसे आदिवासी स्वास्थ्य रक्षा अनुसंधान, आयुर्वेद चल स्वास्थ्य रक्षा कार्यक्रम (एससीएसपी)
उपलब्धियाँ :
प्रारंभ में इस संस्थान ने स्वास्थ्य रक्षा अनुसंधान (Health Care Research Programme) और औषधीय वनस्पति अनुसंधान परियोजनाओं (Medico ethno botanical research) का कार्य शुरू किया था | स्वास्थ्य रक्षा अनुसंधान के अंतर्गत सर्वेक्षण उन्मुख स्वास्थ्य अनुसंधान कार्यक्रम कृष्णा जिला, आंध्रप्रदेश मे संचालित किया गया | औषधीय वनस्पति अनुसंधान कार्यक्रम के अंतर्गत संपूर्ण आन्ध्रप्रदेश में पायलट स्तर में सर्वेक्षण आयोजित किए गए | मध्यप्रदेश के बस्तर जिले में और ओरिसा राष्ट्र के फुलबानी और कोरापुट जिले में विशेष सर्वेक्षण आयोजित किया गए। नैदानिक अनुसंधान के अंतर्गत इस संस्थान ने फाइलेरिया, स्वास, आमवात, परिणाम शूल, श्वेतप्रदर, उच्च रक्तचाप, एनीमिया, डिस्लिपिडीमिया, स्टेबल ब्रांकइटीस, मधुमेह, सोरियासिस इन व्याधियों में नैदानिक अध्यायन किया गया|
इनके अलावा इस संस्थान ने लैला इम्पेक्स और इमिस फार्मासूटिकल्स, विजयवाड़ा के सहयोग से संस्थान ने विभिन्न कोडेड दवाइया जैसे की आयुष QOL- 2 C,आयुष मानस, आयुष रसायन, तैयार की गया है | इंस्टिट्यूट आप अप्लैड डेर्मटालाजि, कासरगूड, केरला के साथ समान्वित सहयोगी परियोजना लसिका फाइलेरिया की रुगमता नियंत्रण पर पायलट अध्ययन में सेल्फ केयर आयुर्वेद और योगा चिकिस्ता का प्रयोग अलेप्पि (केरल) और गुल्भर्गा (कर्नाटका) जिलाओं में किया गया । आयुर्वेद और सिद्धा के सूचित वेक्टर जनित व्याधियों के रोकथान या उपचार की प्रकर्णोम का परियोजना प्रलेखन को संस्थान ने पूर्ण करके मोनोग्राफ प्रकाशित किया|
चल रही अनुसंधान परियोजनाए :
स्थौल्य(Obesity), अस्थिसौषिर्य (Osteoporosis), अश्मारी (Urolithiasis) , पांडु (Anemia), ग्रुध्रशी (Sciatica) विचर्चिका (Eczema) व्याधियों पर अध्ययन शुरू होने वाले है|
नैदानिक अनुसंधान के साथ में आदिवासी सब प्लान के अंतर्गत आधिवासि स्वास्थ्य रक्षा अनुसंधान कार्यक्रम, अनुसूचित जाति उप योजन के अंतर्गत र्आयुर्वेद चलन स्वास्थ्य रक्षा कार्यक्रम, शहरी कालनीयो मे स्वास्थ्य रक्षा कार्यक्रम, लैला इम्पेक्स, इमिस फार्मासुटिकलस, विजयवाड़ा के सहयोग में सी.सी.आर.ए.एस के कोडेड दवाइयों बनाने इत्यादी कार्यक्रम चल रही है |
संगोष्टी/ कार्यशाला/ शिबिर:
वेक्टर जनित रोगों के लिए और्वेदिक ड्रग डेवलपमेंट पर जातीय कार्यशाल मार्च 2010 में आयोजित किया गया | क्षारसूत्र , रसायन, अनीमिया, दीर्घकालीन व्याधियों, एवं माता शिशु संरक्षण पर आँध्रप्रदेश के पांच क्षेत्रों में जातीय अभियान आयोजित किया गया| केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए हिन्दी कार्याशाला आयोजित किया गया| आरोग्य मेला, गोदावरी पुष्कर, कालचक्र फेस्टिवल कृष्णा पुष्कर, वैजाग फेस्ट इत्यादी मे भाग लिए एवं अनेक चिकिस्ता शिबिर आयोजित किया है|
संस्थान के बहिरंग रोगी विभाग में करीब 5 लाख रोगियों एवं अन्तरंग रोगी विभाग में करीब 2400 रोगियों को चिकिस्ता दिया गया है | संस्थान के वैज्ञानिक ने लगभग 150 शोधपत्र जातीय, अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशित किया है | मोनोग्राफ तैयार किया गया एवं अनेक कार्याशाला एवं संगोष्टियों में अतिथि व्याख्यान एवं प्रस्तुतियों दिया गया ।
संपर्क विवरण :
डॉ . जी. बाबु
प्रभारी सहायक निदेशक
क्षेत्रीय आयुर्वेदीय त्वक रोग अनुसंधान संस्थान,
नई राजीव नगर,पायका पुरम,
विजयवाडा- -520015
आंध्र प्रदेश
फोन नं.0866 2402535
टेली फाक्स नं. 0866 2402144
ईमेल : narivbd-vijayawada@gov.in