क्षेत्रीय आयुर्वेद नेत्ररोग अनुसंधान संस्‍थान, लखनऊ

परिचय

            केन्द्रीय आयुर्वेद और सिद्ध अनुसंधान परिषद (सीसीआरएएस) के तहत 19 फ़रवरी 1981 में क्षेत्रीय अनुसंधान संस्थान (आयु.) के रूप में स्थापित किए गए इस संस्थान ने  बहिरंग रोगी विभाग (ओपीडी) की सुविधा के साथ कार्य करना प्रारंभ किया गया था । स्थापना के बाद से, अंतरंग रोगी विभाग (आईपीडी), मोबाइल क्लीनिकल रिसर्च यूनिट(एमसीआरयू) और पैथोलॉजी तथा जैव रसायन विज्ञान प्रयोगशाला के साथ शुरू की गई। फरवरी 1997 में संस्थान को उच्चीकृत कर केंद्रीय अनुसंधान संस्थान (आयुर्वेद) का रूप दिया गया जिसमें प्रदेश की विभिन्न इकाइयों का विलय कर दिया गया था। परिषद ने 10 अक्टूबर 2009 को संस्थान का  पुनः से नामकरण राष्ट्रीय पशु आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान एवं अस्पताल के रूप में कर  दिया है। परिषद ने दिनांक 12 अप्रैल, 2016  को संस्थान का पुनः परिवर्तित नामकरण क्षेत्रीय आयुर्वेद नेत्र रोग अनुसंधान संस्थान कर दिया है।

अधिदेश

नेत्र रोग पर ध्यान देते हुए तदनुसार जीवन शैली पर आधारित गैर संचारी रोगों के नैदानिक अनुसंधान के साथ-साथ पंचकर्म और क्षारसूत्र प्रयोगों के ऊपर भी ध्यान केंद्रित कर शोध कार्य करना।

अन्य गतिविधियां:

• बहिरंग रोगी विभाग (ओपीडी) के माध्यम से स्वास्थ्य देखभाल सेवा प्रदान करना।  

• वयोवृद्ध परक विशेष स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराना।

• इसी तरह से ग्रामीण स्तर पर आयुष मिशन के तहत "स्वास्थ्य रक्षणम्  कार्यक्रम' (एसआरपी) और उप योजना के तहत अनुसूचित जाति आयुर्वेद मोबाइल स्वास्थ्य देखभाल कार्यक्रम (एससीएसपी) आदि का कार्यान्वयन करना।

लक्ष्य और उद्देश्य:

            यह संस्थान आयुर्वेद एवं पशु चिकित्सा औषधि विकास के शोध क्षेत्र में अपनी निश्चित उद्देश्यों के पूर्ति के लिए सदैव तत्पर है तथा बहिरंग रोगी विभाग (ओपीडी) के स्तर पर आयुर्वेदिक योगों के द्वारा रोगियों की चिकित्सा करने के लिए प्राथमिकता के आधार के रूप में संस्थान के क्लीनिकल रिसर्च पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। बहिरंग रोगी विभाग में समय-समय पर आवश्यकता के अनुसार नैदानिक अनुसंधान किया जा रहा है।

इसके अलावा इस संस्थान में तीन सीसीआरएएस आईएमआर परियोजनाएं जैसे आमवात, मूत्राश्मरी और मधुमेह (टाइप 2 मधुमेह) का नैदानिक अनुसंधान कार्य प्रगति पर है जबकि  संधिवात  और अर्श पर 2 सीसीआरएएस-आईएमआर परियोजना कार्य किया जाएगा।

            कुछ शास्त्रीय आयुर्वेदिक औषधियों जैसे निशा आमलकी, निर्गुंडी तैल आदि का निर्माण संस्थान अपनी फार्मेसी किया गया तथा नेत्र रोग चिकित्सा के लिए आँखों के उपचार हेतु औषधि (eye drops/application ointments) निर्माण प्रस्तावित है। फार्मेसी के साथ गुणवत्ता एवं मानक स्थापना हेतु गुणवत्ता परक प्रयोगशाला विकसित करने का प्रस्ताव शामिल है।

उपलब्धियां

1.     चिकित्सीय अध्ययनों में अर्श ,गृध्रसी, मेदोरोग, मनोद्वेग, कामला,  पांडु, आमवात पर अध्ययन कार्य सफलता  पूर्वक किया गया।

2.     फार्माकॉलॉजी अनुभाग द्वारा दो  परियोजनाएं उत्तर प्रदेश के “सीतापुर एवं  इलाहाबाद और रायबरेली एवं उन्नाव जिले में पशुधन रोगों के उपचार के लिए स्थानीय स्वास्थ्य परंपरा का प्रलेखन” विषयों पर सीसीआरएएस-आईएमआर परियोजना कार्य पूर्ण कर लिया गया है तथा अन्य एक सीसीआरएएस आईएमआर परियोजना, “स्वस्थ डेयरी गायों में दूध का उत्पादन बढ़ाने के लिए एक बहु वानस्पतिक योगों के विकास" का भी कार्य सफलतापूर्वक पूर्ण कर लिया गया।

संपर्क विवरण

डॉ. जी. के. स्वामी

प्रभारी सहायक निदेशक

क्षेत्रीय आयुर्वेद नेत्र रोग अनुसंधान संस्थान

आईएनएस-106, सेक्टर-25, इंदिरानगर, लखनऊ- 226 016

टेली फ़ैक्स- 522-2717801, ईमेल –raried.lko@gmail.com, nvari.lko@gov.in